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एक क्लिक के साथ कम्युटर की गति कैसे बढ़ाए?

 

Single Click Boost Computer Speed Hindi

आपके कम्‍प्‍युटर का प्रदर्शन बहुत धीमी गति से हो रहा है? तो इसके लिए कई कारण हैं | शायद बहोत सारे प्रोग्रॅम इस्‍टॉल किए हो, Disk Cleanup या Defragments जैसे मेंटेनंन्‍स नही किये हो | इसके अलावा जब आप कोई प्रोग्रॅम इनस्‍टॉल करते हो, तो इसके बिटस् सारे सिस्टिम में फैल जाते है और इसका परिणाम पीसी स्‍लो होने में होता है |

अब आप पीसी की गति को बढ़ावा देने के लिए Disk Cleanup, Defragments, clean junk औरे temp files जैसे कई बुनियादी तरीकें है | इसके अलावा पीसी का स्पिड बढ़ाने के और भी तरीकें है | लेकिन अगर आप कम्‍प्‍युटर विशेषज्ञ नहीं हैं, तो आप के लिए सबसे अच्छा समाधान है की आप निम्‍न सरल लेकिन फ्री सॉफ्टवेयर का उपयोग करें –

1) Jetboost:

jetboost - Boost Computer With Single ClickJetboost आपकी आवश्‍यकताओं के अनुसार एक क्लिक ही में सभी अनावश्‍यक प्रक्रियाओं और सेवाओं को शटडाउनड कर देता है |  JetBoost सभी अनावश्‍यक प्रक्रियाओं और सेवाओं को शटडाउन करके और जादा संसाधनोंको मुक्‍त करता है | इसके एक चुटकी में आपका पीसी सर्वोच्‍च प्रदर्शन देने लगता है | यह सभी सिस्टिम प्रोसेस और सेवांओंको स्‍कॅन करता है, उन्‍हे चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित करता है और पीसी बुस्‍ट करने के लिए तीन तरीके प्रदान करता है | JetBoost पीसी का उच्‍च्‍ प्रदर्शन देनें के लिए clean memory, lower process priority, stop Explorer.exe इ. काम भी करता है | डाउनलोड : Jetboost

2) Advanced SystemCare 7 Free

advanced systemcare- Boost Computer With Single ClickAdvanced SystemCare 7 Free यह पीसी को protect, repair, clean और optimize करनें कें लिए एक क्लिक का प्रस्‍ताव देता है | यह आपके पीसी का स्पिड बुस्‍ट करने कें लिए repair और tune करता है और इसे बनाए रखता है |

डाउनलोड : Advanced SystemCare 7 Free

3) CCleaner:

CCleaner- Boost Computer With Single ClickCCleaner पीसी का परफॉर्मन्‍स बढ़ानें का एक और सबसे लोकप्रिय टूल है | यह सभी temporary files, Windows Registry को साफ करता है तथा browser histories को मिटाता है | सभी डिलीट किए गयें फाइल को हमेशा के लिए डिलीट करकें डिस्‍क स्‍पेस बढाता है |

कई साइटस्‍ CCleaner डाउनलोड करने की लिंक प्रदान करते है, लेकिन इसे अधिकृत साइट से ही डाउनलोड करें |

डाउनलोड : CCleaner

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What is computer virus ? कंप्यूटर वायरस क्या है .. ?

कंप्यूटर वायरस का पूरा नाम होता है -

Vital Information Resources under Seize.


ये एक ऐसा प्रोग्राम होता है , जो खुद बा खुद आपके कंप्यूटर पे अपने आप को संयोजित करता है, एक कम्प्यूटर वायरस एक कंप्यूटर प्रोग्राम (computer program) है जो अपनी अनुलिपि कर सकता है और उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना एक कंप्यूटर को संक्रमित कर सकता है और उपयोगकर्ता को इसका पता भी नहीं चलता है. विभिन्न प्रकार के मैलवेयर (malware) और एडवेयर (adware) प्रोग्राम्स के संदर्भ में भी "वायरस" शब्द का उपयोग सामान्य रूप से होता है, हालाँकि यह कभी-कभी ग़लती से भी होता है.

मूल वायरस अनुलिपियों में परिवर्तन कर सकता है, या अनुलिपियाँ ख़ुद अपने आप में परिवर्तन कर सकती हैं, जैसा कि एक रूपांतरित वायरस (metamorphic virus) में होता है. यह नाम सयोग वश बीमारी वाले वायरस से मिलता है मगर ये उनसे पूर्णतः अलग होते है.वायरस प्रोग्रामों का प्रमुख उददेश्य केवल कम्प्यूटर मेमोरी में एकत्रित आंकड़ों व संपर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को अपने संक्रमण से प्रभावित करना है । वास्तव में कम्प्यूटर वायरस कुछ निर्देशों का एक कम्प्यूटर प्रोग्राम मात्र होता है जो अत्यन्त सूक्षम किन्तु शक्तिशाली होता है । यह कम्प्यूटर को अपने तरीके से निर्देशित कर सकता है । ये वायरस प्रोग्राम किसी भी सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्राम के साथ जुड़ जाते हैं और उनके माध्यम से कम्प्यूटरों में प्रवेश पाकर अपने उददेश्य अर्थात डाटा और प्रोग्राम को नष्ट करने के उददेश्य को पूरा करते हैं । अपने संक्रमणकारी प्रभाव से ये सम्पर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को प्रभावित कर नष्ट अथवा क्षत-विक्षत कर देते हैं । वायरस से प्रभावित कोई भी कम्प्यूटर प्रोग्राम अपनी सामान्य कार्य शैली में अनजानी तथा अनचाही रूकावटें, गलतियां तथा कई अन्य समस्याएं पैदा कर देता है । प्रत्येक वायरस प्रोग्राम कुछ कम्प्यूटर निर्देशों का एक समूह होता है जिसमें उसके अस्तित्व को बनाएं रखने का तरीका, संक्रमण फैलाने का तरीका तथा हानि का प्रकार निर्दिष्ट होता है । सभी कम्प्यूटर वायरस प्रोग्राम मुख्यतः असेम्बली भाषा या किसी उच्च स्तरीय भाषा जैसे “पास्कल” या “सी” में लिखे होते हैं ।

वायरस के प्रकार

१ . बूट सेक्टर वायरस २ . फाइल वायरस ३ . अन्य वायरस


एक वायरस एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में तभी फ़ैल सकता है जब इसका होस्ट एक असंक्रमित कंप्यूटर में लाया जाता है, उदाहरण के लिए एक उपयोगकर्ता के द्वारा इसे एक नेटवर्क या इन्टरनेट पर भेजने से, या इसे हटाये जाने योग्य माध्यम जैसे फ्लॉपी डिस्क (floppy disk), CD, या USB ड्राइव पर लाने से. इसी के साथ वायरस एक ऐसे संचिकातंत्र या जाल संचिका प्रमाली (network file system) पर संक्रमित संचिकाओं के द्वारा दूसरे कम्पूटरों पर फ़ैल सकता है जो दूसरे कम्प्यूटरों पर भी खुल सकती हों. कभी कभी कंप्यूटर का कीड़ा (computer worm) और ट्रोजन होर्सेस (Trojan horses) के लिए भी भ्रमपूर्वक वायरस शब्द का उपयोग किया जाता है. एक कीडा अन्य कम्प्यूटरों में ख़ुद फैला सकता है इसे पोषी के एक भाग्य के रूप में स्थानांतरित होने की जरुरत नहीं होती है, और एक ट्रोजन होर्स एक ऐसी फाईल है जो हानिरहित प्रतीत होती है. कीडे और ट्रोजन होर्स एक कम्यूटर सिस्टम के आंकडों, कार्यात्मक प्रदर्शन , या कार्य निष्पादन के दौरान नेटवर्किंग को नुकसान पहुंचा सकते हैं. सामान्य तौर पर , एक कीड़ा वास्तव में सिस्टम के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर को नुकसान नहीं पहुंचाता , जबकि कम से कम सिद्धांत रूप में, एकट्रोजन पेलोड, निष्पादन के दोरान किसी भी प्रकार का नुकसान पहुँचने में सक्षम होता है. जब प्रोग्राम नहीं चल रहा है तब कुछ भी नहीं दिखाई देता है लेकिन जैसे ही संक्रमित कोड चलता है, ट्रोजन होर्स प्रवेश कर जाता है.यही कारण है कि लोगों के लिए वायरस और अन्य मैलवेयर को खोजना बहुत ही कठिन होता है और इसीलिए उन्हें स्पायवेयर प्रोग्राम और पंजीकरण प्रक्रिया का उपयोग करना पड़ता है. एक कंप्यूटर वायरस खुद को कॉपी करता हैं ये एक कंप्यूटर प्रोग्राम होता है . ये उपयोगकर्ता की अनुमति या जानकारी के बिना उसके कंप्यूटर को संक्रमित कर सकते ये अपने मेजबान ( असंक्रमित कंप्यूटर ) पर ले जाये जाते ही केवल एक कंप्यूटर से दूसरे में फैल सकता है ,ये एक फाइल सिस्टम पर फ़ाइलों को संक्रमित होने से अन्य कंप्यूटरों में फैल सकता है . वायरस स्वयं को न खोज पाने के लिए और कम्प्यूटर कार्यक्रमों को बर्बाद करने के लिए ही बनाए जाते है। इसके अलावा, कुछ सूत्रों का कहना है कि कुछ वायरस को ,वायरस फ़ाइलों को हटाने , या हार्ड डिस्क reformatting का ही इन्तज़ार रहता है क्योंकि ये , इसी के लिए ही बनाए जाते है , और ये हानिकारक कार्यक्रमों से कंप्यूटर को क्षति पहुँचाने के लिए बनाए जाते हैं कुछ मेलवेयर , विनाशकारी प्रोग्रामों , संचिकाओं को डिलीट करने , या हार्ड डिस्क की पुनः फ़ॉर्मेटिंग करने के द्वारा कंप्यूटर को क्षति पहुचाने के लिए प्रोग्राम किए जाते हैं. अन्य मैलवेयर प्रोग्राम किसी क्षति के लिए नहीं बनाये जाते हैं , लेकिन साधारण रूप से अपने आप को अनुलिपित कर लेते हैं शायद कोई टेक्स्ट, वीडियो , या ऑडियो संदेश के द्वारा अपनी उपस्थिति को दर्शाते हैं.यहाँ तक की ये कम अशुभ मैलवेयर प्रोग्राम भी कंप्यूटर उपयोगकर्ता (computer user) के लिए समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं.. वे आमतौर पर वैध कार्यक्रमों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली कम्प्यूटर की स्मृति (computer memory) को अपने नियंत्रण में ले लेते हैं.इसके परिणाम स्वरूप , वे अक्सर अनियमित व्यवहार का कारण होते हैं और सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अतिरिक्त, बहुत से मैलवेयर बग (bug) से ग्रस्त होते हैं , और ये बग सिस्टम को नुक्सान पंहुचा सकते हैं या डाटा क्षति (data loss) का कारण हो सकते हैं. कई सीआईडी प्रोग्राम ऐसे प्रोग्राम हैं जो उपयोगकर्ता द्वारा डाउनलोड किए गए हैं और हर बार पॉप अप किए जाते हैं. इसके परिणाम स्वरुप कंप्यूटर की गति बहुत कम हो जाती है लेकिन इसे ढूंढ़ना और समस्या को रोकना बहुत ही कठिन होता है. .ये वायरस कंप्यूटर उपयोगकर्ता के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं सिस्टम क्रैश हो सकता है. इसके अलावा, कई फाइलें वायरस बग से ग्रस्त हो सकती हैं , और इन बगं प्रणाली के कारण आपका कम्प्यूटर दुर्घटनाओं और डेटा हानि का कारण बन सकता है एक कंप्यूटर वायरस खुद को दोहराने का कार्य भी कर सकता हैं

मुख्य वायरस दो प्रकार के होते हैं : 1:File Factor.... ( फ़ाइल फेक्टर ) , 2:Boot Virus.... ( बूट वायरस )

1: File Factor.... ( फ़ाइल फेक्टर ) ये वायरस कंप्यूटर में फ़ाइल के पते को बदल देते है

2: Boot Virus.... ( बूट वायरस ) ये ऐसा वायरस है जो कि सिस्टम बायोज पर असर डालता है , व खराब करता है , जिसकी वजह से कंप्यूटर के हार्डवेयर काम करना छोड़ने लगते है ,और malwares कई प्रकार के होते हैं और विस्तार में उन सभी को परिभाषित करना बहुत मुश्किल है , और समझना भी , इसलिए यहाँ मैं संक्षिप्त में इन में से कुछ समझा रहा हूँ : -

१ . ट्रोजन हॉर्स ( Trojan Horse ) : एक ट्रोजन बड़ी गुपचुप तरीके से आप के कंप्यूटर सिस्टम को संक्रमित कर देगा जो एक दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम है . Trojans अन्य कार्यक्रमों सबसे ऊपर आता है और उपयोगकर्ता के ज्ञान के बिना एक सिस्टम पर स्थापित हो जाता है ट्रोजन्स आपके सिस्टम पर एक लक्ष्य बनाकर हैकिंग सॉफ्टवेयर स्थापित करं और उस प्रणाली तक हैकर की पहुँच बनाने और बनाए रखने में ,हैकर की सहायता करने के लिए इस्तेमाल किया व बनाया जाता है . ट्रोजन में कई भिन्न प्रकार होते हैं , इनमें से कुछ : -

१. Remote Administration Trojans ( दूरस्थ प्रशासन ट्रोजन )

२. Data Stealing Trojans ( डाटा ट्रोजन चोरी )

३. Security Disable Trojan ( सुरक्षा Disabler ट्रोजन )

४. Control Changer Trojan ( नियंत्रण परिवर्तक ट्रोजन )

कुछ प्रसिद्ध ट्रोजन :

१. Beast ( बीस्ट )

२. Back orifice ( बैक ओरीफ़ाइस )

३. Net Bus ( नेट बस )

४. Pro Rat ( प्रो रैट )

५. Girl Friend ( गर्ल फ्रेंड )

६. Sub Seven etc. ( सब सेवन ई टी सी )



२ .Boot Sector Virus ( सेक्टर वायरस बूट ) : ये एक ऐसा वायरस है जो कि बूटिंग के समय में कंप्यूटर के द्वारा पढ़ा जाता है कि सिस्टम बूट फ़ाइलों को ही देख़ता है . ये आम तौर पर फ्लॉपी डिस्क के जरिये फैलता हैं .

३ .Macro Virus ( मैक्रो वायरस ): मैक्रो वायरस खुद को वितरित करने के लिए बनाए जाते है ये एके मैक्रो प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग करने वाले वायरस होते हैं . वे ऐसे एमएस वर्ड या एमएस एक्सेल के रूप में दस्तावेजों को संक्रमित कर देते हैं और आम तौर पर इसी तरह की अन्य दस्तावेजों में अपनी प्रोग्रामिंग भाषा फैला देते हैं .

४ .Worms ( वोर्म्स ) : वोर्म्स एक कीड़ा बना देता है और खुद की प्रतियों के वितरण की सुविधा देता है जो कि एक कार्यक्रम होता है .

उदाहरणार्थ एक डिस्क ड्राइव से दूसरे , या ईमेल का उपयोग कर अपने आप को कॉपी करने के लिए कार्यक्रम होता है . यह प्रणाली भेद्यता के शोषण के माध्यम से या एक संक्रमित ई - मेल पर क्लिक करके आ सकता है वोर्म्स यानी कीड़े का सबसे सामान्य स्रोत नकली ईमेल या ईमेल संलग्नक हैं

५ .Memory Resident Virus ( मेमोरी रेजिडेंट वायरस ) : मेमोरी रेजिडेंट वायरस एक कंप्यूटर में अस्थिर स्मृति ( रैम ) में जाकरें रहते हैं. वे जब एक प्रोग्राम कंप्यूटर पर चलता है तो ये भी उसी के साथ चलते हैं और शुरुआत में ही प्रोग्राम बंद करके बाद में स्मृति में रह जाते हैं .

६ .Rootkit Virus ( रूटकिट वायरस ) : एक रूटकिट वायरस किसी एक कंप्यूटर प्रणाली का नियंत्रण हासिल करने के लिए , अनुमति देने के लिए बनाया जाता है जो कि एक undetectable वायरस है . रूटकिट वायरस लिनक्स व्यवस्थापक जड़ उपयोगकर्ता से आता है. ये वायरस आमतौर पर ट्रोजन द्वारा भी स्थापित होता हैं।

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9 गजब के रोचक फैक्‍ट व्हाट्सएप्प के बारे में - 9 Interesting Amazing Fact About WhatsApp

व्हाट्सएप्प (WhatsApp) पूरी दुनियांं में छा चुका है, आईये जानते हैं गजब के रोचक फैक्‍ट व्हाट्सएप्प के बारे में - Interesting Amazing Fact About WhatsApp

गजब के रोचक फैक्‍ट व्हाट्सएप्प के बारे में - Gajab Ke Rochak Fact WhatsApp Ke Bare Me



1- व्हाट्सएप्प को वर्ष 2009 में Jan Koum और Brian Acton ने बनाया गया था

2- व्हाट्सएप्प की प्रोग्रामिंग Erlang प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में की गयी है

3-Brian Acton और Jan Koum दोनों की याहू (Yahoo!) के पूर्व कर्मचारी थे

4-अगर आप सोचते हों कि व्हाट्सएप्प में हजारों कर्मचारी काम करते हैं तो ऐसा बिलकुल नहीं है दुनिया की नंबर 1 इन्स्टेंट मेसेजिंग एप्‍प के कार्यालय में अभी भी 50 कर्मचारी काम करते हैं

5- व्हाट्सएप्प लगभग सभी मोबाइल प्‍लेटफार्म के लिये बनाई गयी है जिसमें आईओएस सिम्बियन, एंड्रॉइड, ब्लैकबेरी ओएस, ब्लैकबेरी 10, विंडोज़ फोन, नोकिया सीरीज 40 और फायरफॉक्स ओएस शामिल है

6- 180 से ज्यादा देशों में 1 अरब से अधिक लोग WhatsApp का उपयोग करते हैं

7-व्हाट्सएप्प बनाने के आयडिया ने Jan Koum और Brian Acton के दोस्‍त एलेक्स फिशमैन के घर एक पिज्जा पार्टी में जन्‍म लिया

8- WhatsApp ने अपनी मार्केटिंग पर एक भी पैसा खर्च नहीं किया है

9- विकिपीडिया की तरह ही व्हाट्सएप्प पर अभी तक विज्ञापन नहीं दिखाये जाते हैं

10- मार्क जकरबर्ग व्हाट्सएप्प की लोकप्रियता से इतने प्रभावित हुये कि उन्‍होने व्हाट्सएप्प को 19 अरब डॉलर में खरीद लिया बरहाल व्हाट्सएप्प अब फेसबुक का हुआ

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कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer)

आज आप कंप्यूटर पर इंटरनेट चलाते हैँ, गेम खेलते है, वीडियो देखते हैं, गाने सुनते हैँ और इसके अलावा ढेर सारे ऑफिस से संबंधित काम करते हैं आज कंप्यूटर का उपयोग दुनिया के हर क्षेत्र मेँ किया जा रहा है चाहे वो शिक्षा जगत हो, फिल्म जगत हो या आपका ऑफिस हो। कोई भी जगह कंप्यूटर के बिना अधूरी है आज आप कंप्यूटर की सहायता से इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी शहर की कोई भी जानकारी सेकेण्‍डों मे प्राप्त कर सकते हैँ ये किसी दूसरे देश मेँ बैठे अपने मित्रोँ और रिश्तेदारोँ से इंटरनेट के माध्यम लाइव वीडियो कॉंफ्रेंसिंग कर सकते हैँ यह सब संभव हुआ है कंप्यूटर की वजह से। सोचिए अगर कंप्यूटर ना होता तो आज की दुनिया कैसी दिखाई देती।

कंप्यूटर शुरुआत कहाँ से हुई ओर क्यूँ हुई ? क्या वाकई मेँ कंप्यूटर इन सभी कामाें को करने के लिये बना था या इसका आविष्कार किसी और वजह से हुआ था आइए जानते हैँ -

मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया, यानी गणना करने के लिए।

अबेकस

अबेकस पहला ऐसा कंप्यूटर था, जो गणना कर सकता था। अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।

पास्‍कलाइन

अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्‍कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 मेँ बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था।

डिफरेंज इंजन

डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया एेसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था, इसका आविष्कार संस 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्‍तेमाल किया जाता था।

इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।

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कंप्यूटर के बारे में 50 रोचक तथ्य - Top 50 Random Fun Facts about computer

1- Computer का हिंदी नाम संगणक है. Hindi name of computer is संगणक

2- विश्व में सबसे पहले बने कम्प्यूर के हार्डडिस्‍क में सिर्फ 5 MB डाटा स्‍टोर किया जा सकता था।

3- पहला कम्प्यूटर माउस लकड़ी का बनाया गया था।

4- माउस का अविष्‍कार 1960 में डग कार्ल एंजेलबर्ट (Doug Engelbart Carl) के द्वारा किया गया था

5- आज पूरी दुनिया में कम से कम १ अरब से ज्‍यादा माउस बेचे जा चुके हैं।

6- डग कार्ल एंजेलबर्ट (Doug Engelbart Carl) नेे ऑग्‍मेंटेशन शोध केन्‍द्र के नाम से अपनी प्रयोगशाला बनाई इसी प्रयोगशाला में एआरपीएनेट के विकास में सहयोग किया, जो आगे चलकर इंटनरेट बना।

7- दुनिया के पहले (The world first) कॉम्प्यूटर मॉनिटर (Computer Monitor) का प्रयोग सर्वप्रथम 1980 में किया गया था

8- कम्प्यूटर कीबोर्ड का सर्वप्रथम प्रयोग सन् 1968 में किया गया।

9- हार्ड डिस्क के बाहर के डाटा के आदान-प्रदान हेतु आज हम CD, DVD और Pen Drive का प्रयोग करते हैं, किन्तु इन डिवाइसों के आविष्कार के पूर्व इस कार्य के लिए फ्लॉपी डिस्क का प्रयोग किया जाता था।

10- दुनिया में सर्वाधिक प्रयोग किया जाना वाला USB हार्डवेयर पेन ड्राइव वर्ष 1999 में अस्तित्‍व में आया था। लेकिन बाजार में इसे वर्ष 2000 में उतारा गया था, उस समय इसकी स्‍टोरेज क्षमता केवल 8 MB थी।

11- सर्वप्रथम कंप्यूटर प्रोग्राम (first computer program) में मशीन लैंग्वेज (Machine Language) का प्रयोग हुआ था ।

12- प्रतिमाह लगभग 5000 कॉम्प्यूटर वायरस (Virus) बनाये जाते हैं।

13- अब तक लगभग 17 अरब डिवाइस (Devices) में इन्‍टरनेट (Internet) प्रयोग किया चुका है।

14- स्टोरेज (storage) माध्यम की क्षमता की इकाई बाईट (Byte) है

15- दुनियॉ का पहला बेवब्राउजर (first web browser) 1993 में आया जिसका नाम मौज़ेक (Mosaic) था

16- दुनियॉ का पहला डोमेन नेम (first domain name) Symbolics.com के नाम से रजिस्‍टर हुआ

17- प्रतिमाह लगभग 5000 कॉम्प्यूटर वायरस (Virus) बनाये जाते हैं।

18- C ++ एक मोड्यूलर प्रोग्रामिंग भाषा (Modular programming language) है।

19- जावा भाषा (Java language) का आविष्कार (Invention) इन्फोसिस्टम (Infosystems) नामक कंपनी ने किया था ।

20- भारत का पहला प्रदूषण रहित कंप्यूटरकृत पेट्रोल पम्प मुंबई में है

21- IBM का पूरा नाम इंटर नेशनल बिजनेस मशीन (International Business Machines) है

22- वैज्ञानिकों के अनुसार भारतीय भाषा संस्कृत कंप्यूटरकृत करने के लिए सबसे आसान है

23- IBM 1401 वह पहला कंप्यूटर है जिसमें निर्वात ट्यूब के बजाय ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया था

24- स्टोरेज (storage) माध्यम की क्षमता की इकाई बाईट (Byte) है

25- 1 किलोबाइट (kilobyte) 1024 बाइट (bytes) के बराबर है

26- DOS का पूरा नाम डिस्‍क ऑपरेटिंग सिस्टम (disk Operating System) है

27- पहले सभी कंंप्‍यूटर DOS पर आधारित होते थे,

28- DOS को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा खरीदने के बाद इसका नाम MS DOS हो गया,

29- यह कमांड पर आधारित है सिस्‍टम हैै इसलिये इसे command prompt भी कहते हैं

30- DOS का विकास करके माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज ऑपरेटिंग सिस्‍टम को बनाया है

31- लेकिन आज भी हर विंडोज के साथ DOS यानि command prompt एप्‍लीकेशन आती है

32- रे टॉमलिंसन (ray tomlinson) अमेरिकी मूल के कंप्यूटर प्रोग्रामर थे इन्होने 1972 में पहला ईमेल संदेश एक नेटवर्क दूसरे नेटवर्क तक भेजने का आविष्कार किया

33- रे टॉमलिंसन (ray tomlinson) ने इसी ईमेल में पहली बार एट चिह्न (@) यानि ऍट द रेट, का प्रयोग किया

34- पहला ईमेल संदेश था QUERTYIOP. चौंकिये मत यह कोई विशेष कोड नहीं बल्कि यह आपके QUERTY की-बोर्ड की ऊपर वाली लाइन हैं।

35- पहला ईमेल अमेरिका के कैम्ब्रिज में एक कमरे में रखे दो कंम्यूटरों के बीच भेजा गया था।

36- Laptop का concept जब तैयार किया गया था तो आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि वह अपने Flip Form में नहीं था यानी आज जिस तरह Screen को मोडकर Laptop को बन्‍द किया जाता है उस रूप में नहीं वह बिलकुल सीधा था।

37- इस बिना Flip वाले Laptop की परिकल्‍पना 1968 में Alan Key द्वारा की गयी।

38- 1980 से पहले Laptop में हार्डडिस्‍क नहीं हुआ करती थी।

39- लैपटॉप में Touchpad Feature 1982 के बाद जोडा गया, जिसका इस्‍तेमाल आज तक Laptop में माउस की जगह किया जा रहा है, जबकि माउस की परिकल्‍पना 1960 में ही की जा चुकी थी।

40- वर्ष 1999 के बाद से Laptop में Wi-Fi प्रयोग होना शुरू हुआ।

41- 1981 में जारी Osborne Laptop का वजन लगभग 10 Kg था जो आज के मुकाबले लगभग 10 गुना ज्‍यादा है।

42- गूगल पर प्रति सेकण्ड 60000 सर्च किए जाते हैं यानि जब आप Google पर सर्च कर रहे होते है और रिजल्टस् आपके सामने तब 60000 अन्य लोगो को भी गूगल द्वारा सर्च की गई सामग्री प्रदर्शित की जाती है

43- गूगल का संचालन एक रिसर्च परियोजना के लिए स्टैनफौर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफ़ोर्निया के 2 छात्रों लैरी पेज तथा सर्गेई ब्रिन ने इसकी शुरुआत सन् 1996 की थी

44- सन् 2005 में गूगल ने Android कम्पनी को अपने अधिग्रहण कर लिया था

45- विकीपीडिया इंटरनेट पर सबसे बडा एन्साइक्लोपीडिया यानि विश्वकोश है

46- विकीपीडिया पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक गूगल से अाता है, विकीपिडिया को हर महीने लगभग 5 करोड लोग विकीपीडिया इस्तेमाल करते हैं, बावजूद इसके भी विकीपीडिया पर कोई भी विज्ञापन नहीं दिखाया जाता है।

47- विकीपीडिया 262 भाषाओं में उपलब्ध है। हिन्दी विकिपीडिया जुलाई 2003 में अस्तित्‍व में आया और 2015 तक हिन्दी विकीपीडिया में 1 लाख पेज और 2 लाख सदस्याें का ऑकडा पार किया।

48- विकीपीडिया पर सबसे ज्यादा पढा जाने वाला लेख स्टीव जॉब्स का है।

49- यूट्यूब (Youtube) दुनियां की सबसे बडी वीडियो लाइब्रेरी (Video Library) है

50- पेपल कंपनी के कर्मचारी चाड हर्ले, स्टीव चैन और जावेद करीम ने फरवरी 2005 में यूट्यूब को बनाया था

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